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मेरा ईश्क
तुम्हारे बगैर ही,
ज्यादा अच्छा है मेरा ईश्क।
क्योंकि...
यहाँ डर नहीं किसी बात का...
तुम्हारे रूठने का, या छूटने का...
यहाँ तो मैं हुँ और है बस मेरा ही रिस्क।
तुम्हारे बगैर ही,
ज्यादा अच्छा है मेरा ईश्क।
जैसे चाहूँ ऐतबार करु
तुम्हे डाँटु या प्यार करू,
यहाँ तो मेरी हर बात तुम्हे कुबूल होगी।
इससे अच्छी प्यार की और क्या परिभाषा होगी।
इसीलिए मुझे कुबूल है तुम्हारे बगैर ही
मेरा ईश्क।
ज्यादा अच्छा है मेरा ईश्क।
क्योंकि...
यहाँ डर नहीं किसी बात का...
तुम्हारे रूठने का, या छूटने का...
यहाँ तो मैं हुँ और है बस मेरा ही रिस्क।
तुम्हारे बगैर ही,
ज्यादा अच्छा है मेरा ईश्क।
जैसे चाहूँ ऐतबार करु
तुम्हे डाँटु या प्यार करू,
यहाँ तो मेरी हर बात तुम्हे कुबूल होगी।
इससे अच्छी प्यार की और क्या परिभाषा होगी।
इसीलिए मुझे कुबूल है तुम्हारे बगैर ही
मेरा ईश्क।
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