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जिससे करता था इश्क वो किसी और की नूर है 🔥
जिससे करता था मैं इश्क़ सच्चा वो अब किसी और की नूर है..

भुला दे उसकी यादें जो तुझे हर रोज़ सता रही है
तेरी महबूब किसी और का महल सजा रही है

माना तू करता था प्यार उससे दिलो जान से
पर अब वो किसी और की जान है

देर रात तू क्यों जागता उसकी याद मे तेरी तो अब उसे फ़िक्र नहीं
अब उसकी बातो में तेरा कही ज़िक्र नहीं
सवार ले खुद को यही मौका है प्यार तो बस एक धोखा है

ज़िन्दगी में आगे बढ़ते चल मेरे दोस्त मंजिल तेरी अभी बहुत दूर है
जिससे करता था तू इश्क़ सच्चा वो अब किसी और की नूर है

बनाना है महबूब तो अपने सपनों का बना
सीखा देगी तुझको ज़िन्दगी में कैसे जीना
ये वो महबूब है जो दूर होगी तो भी हर वक़्त तेरे साथ रहेगी

ज़िन्दगी में आगे बढ़ते चल मेरे दोस्त मंजिल तेरी अभी बहुत दूर है
जिससे करता था तू इश्क़ सच्चा वो अब किसी और की नूर है
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