वसीयत
औरत के पास वसीयत नहीं होती
और अगर होती भी है तो उसके पिता या पति की दी हुई कुछ संपत्ति जो उसके लिए
तब निरर्थक हो जाती है जब पति या पिता नहीं होते उसके लिए उसकी वसीयत कोई है
तो उसके अनुभव है उसकी पीड़ा है
उसके साथ हुए वर्ताव का व्योरा है
जिसको न पति लेना चाहता है न उसकी...
और अगर होती भी है तो उसके पिता या पति की दी हुई कुछ संपत्ति जो उसके लिए
तब निरर्थक हो जाती है जब पति या पिता नहीं होते उसके लिए उसकी वसीयत कोई है
तो उसके अनुभव है उसकी पीड़ा है
उसके साथ हुए वर्ताव का व्योरा है
जिसको न पति लेना चाहता है न उसकी...