आगरा
आगरा आगरा मै हूँ आगरा,
सदियों से दिया प्रेम को आसरा।
मुगलों का नूर मुझमें बसा,
मोहब्बत का इतिहास यही पे रचा।
जमुना के तीरे, मै तरता रहा।
बुलंद मानसिंह के हैं हौसले...
सदियों से दिया प्रेम को आसरा।
मुगलों का नूर मुझमें बसा,
मोहब्बत का इतिहास यही पे रचा।
जमुना के तीरे, मै तरता रहा।
बुलंद मानसिंह के हैं हौसले...