ऐ ज़िंदगी!
पीछे जो कुछ छूट गया है
अपना कोई रूठ गया है।
ऐ ज़िंदगी! चल उसे फ़िर से
एक साथ करते हैं।
निकाल ज़हन से ये डर सारे
क्यूँ टुकड़ों में जीना यहाँ।
दिल खोलकर एक हसीं
मुलाकात करते हैं।
चल बढ़ा ज़िंदगी साथ कदम
अब हम भी तेरे साथ चलते हैं।
अपना कोई रूठ गया है।
ऐ ज़िंदगी! चल उसे फ़िर से
एक साथ करते हैं।
निकाल ज़हन से ये डर सारे
क्यूँ टुकड़ों में जीना यहाँ।
दिल खोलकर एक हसीं
मुलाकात करते हैं।
चल बढ़ा ज़िंदगी साथ कदम
अब हम भी तेरे साथ चलते हैं।