शायरी
जो दूरी लिखूँ तो बेपनाह मोहब्बत बन जाना,
जो हसी लिखू तो मेरे होंठो पर ठहर जाना,
जब भी लिखू तुम्हे प्यार मैं अपनी कलम से,
बनकर इश्क़ तुम बस मुझमे सिमट जाना।
जो हसी लिखू तो मेरे होंठो पर ठहर जाना,
जब भी लिखू तुम्हे प्यार मैं अपनी कलम से,
बनकर इश्क़ तुम बस मुझमे सिमट जाना।