...

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प्रेम और स्वाभिमान...!

.... और अक़्सर
अपने ही चेहरे को अपने लंबे घुटनों पर
टिकाए हुए...
भावों में बह कर
मेरी आँखों में देखते हुए...
यूँ ही गाहे बगाहे
पूछ, बैठते हो तुम...

सुनो, ...