#मैं और मेरा टॉमी,🐾
सड़क पर मैंने एक दिन घायल टॉमी को पाया,
देख कर उसकी मासूमियत दिल मेरा भर आया।
कूँ कूँ करता हुआ वह जब लिपटा पैरों में आकर,
ले आई बिन सोचे समझे उसको मैं अपने घर ।
की रोज़ देखभाल उसकी, करके पट्टी मरहम,
स्वस्थ हुआ तो उछल कूद कर खूब लगाया करता मन।
रोज़ खिलाती उसको दूध और मोटी सी रोटी,
दौड़ा दौड़ा आता जब सुनता वह मेरी सीटी।
बढ़ने लगे हम दोनो पाकर घरवालों का प्यार,
मुझसे ज्यादा अब होने लगा टॉमी का दुलार।
करता खूब शैतानी, काटा करता वो सामान,
छुप जाता पलंग के नीचे, सुनकर अपना नाम।
खूब बिगाड़ा करता, वो घरभर के सब काम,
उसके कारण होता था मेरा आराम हराम।
मम्मी मुझे नाम से, उसको बेटू कहके बुलाती,
मुझे कहती खुद खाओ, उसको हाथों से खिलाती।
फिर भी उसके बिना अब रह नहीं मैं सकती।
खुद से भी ज्यादा देखभाल उसकी मैं हूँ करती।
कभी ना छूटे साथ हमारा, माँगू दुआ मैं रबसे,
इस दुनिया में मैं और टॉमी, दोस्त हैं अच्छे सबसे।
है अनोखा इस जग में उसका मेरा रिश्ता ,
बेजुबान सा जैसे कोई नन्हा सा फरिश्ता।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
✍️💐रंजीत कौर 🐕© ranjeet prayas
देख कर उसकी मासूमियत दिल मेरा भर आया।
कूँ कूँ करता हुआ वह जब लिपटा पैरों में आकर,
ले आई बिन सोचे समझे उसको मैं अपने घर ।
की रोज़ देखभाल उसकी, करके पट्टी मरहम,
स्वस्थ हुआ तो उछल कूद कर खूब लगाया करता मन।
रोज़ खिलाती उसको दूध और मोटी सी रोटी,
दौड़ा दौड़ा आता जब सुनता वह मेरी सीटी।
बढ़ने लगे हम दोनो पाकर घरवालों का प्यार,
मुझसे ज्यादा अब होने लगा टॉमी का दुलार।
करता खूब शैतानी, काटा करता वो सामान,
छुप जाता पलंग के नीचे, सुनकर अपना नाम।
खूब बिगाड़ा करता, वो घरभर के सब काम,
उसके कारण होता था मेरा आराम हराम।
मम्मी मुझे नाम से, उसको बेटू कहके बुलाती,
मुझे कहती खुद खाओ, उसको हाथों से खिलाती।
फिर भी उसके बिना अब रह नहीं मैं सकती।
खुद से भी ज्यादा देखभाल उसकी मैं हूँ करती।
कभी ना छूटे साथ हमारा, माँगू दुआ मैं रबसे,
इस दुनिया में मैं और टॉमी, दोस्त हैं अच्छे सबसे।
है अनोखा इस जग में उसका मेरा रिश्ता ,
बेजुबान सा जैसे कोई नन्हा सा फरिश्ता।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
✍️💐रंजीत कौर 🐕© ranjeet prayas