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मासूम सा ख़्याल - Meri Tuk Tuk
मासूम सा ख़्याल

बचपन से ही शैतान है
ढेरो ख्वाइशों से गिरी वो
बस्ती सबकी जान उसमें
नन्हें पांव से सब और चली वो

बाप के प्यार को तरसे
मां को एक पल न छोड़े वो
आंखों में उम्मीद की चमक लिए
छोटी सी उमर में बड़ी बने वो

मासूमियत से भरी हसीं हंसे
जिंदगी की मुस्कान बनी वो
पूरे घर में उछलती कुद्दती
सबको घर पर देख खिल उठे वो

डॉक्टर बनने का सपना साथ लिए
मेडिकल खिलौना से खेले वो
नानी के सेहत को रोज नापती
पानी के साथ गोली घोले वो

मासूम सा ख़्याल है
मासूम से ख़्याल की मूरत वो
(Dedicated to my Niece)
© firkiwali