...

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शिद्दत
मैंने चाहा था जिसे शिद्दत से
मिला नही उसे कई मुद्दत से

इश्क़ था हमारा रूहानी
न थी बस कोई कहानी
था प्यार इतना सुहाना
दिल मे था उनका आना

चाहतों ने मेरी परवान लिया
जो चाहा हासिल कर लिया
वो भी इश्क़ में चूर चूर हुए
किस्से भी हमारे मशहूर हुए

फिर एक दिन ऐसा आया
वो लौट कर कभी न आया
बीच मझदार मुझे छोड़ गया
सांसों से नाता तोड़ गया

सांस उसकी जब थमी थी
धड़कन मेरी भी जमी थी
सोचा मैं भी रूहज़दा हो जाऊं
जाकर उसकी रूह से मिल आऊं

पर उसने लिया था एक वादा
गर चाहते हो ज़िन्दगी से ज़्यादा
तो मौत तक का इंतज़ार करना
मुझसे मिलने के लिए मत मरना

मैंने चाहा था जिसे शिद्दत से
मिला नही उसे कई मुद्दत से

© rbdilkibaat