कभी कड़क धूप सी, तो कभी ठंडी रात हूं मैं
कभी कड़क धूप सी,
तो कभी ठंडी रात हूं मैं।
कभी गुनगुने पानी सी,
तो कभी बरसात हूं ।।
कभी अमावस की अंधेरी रात,
तो कभी चांद की चांदनी हूं मैं।
कभी जलते अंगारे सी,
तो कभी ठंडी हवा सुहावनी हूं...
तो कभी ठंडी रात हूं मैं।
कभी गुनगुने पानी सी,
तो कभी बरसात हूं ।।
कभी अमावस की अंधेरी रात,
तो कभी चांद की चांदनी हूं मैं।
कभी जलते अंगारे सी,
तो कभी ठंडी हवा सुहावनी हूं...