...

3 views

आजकल मैं
आजकल मैं कुछ लिखती हूं
भावों को शब्दों में देखती हूं

उलझनें अब मध्यम सी है
आंखों की नमी कुछ कम सी है

खुद को पहचानना आ गया है
जज़्बात बयां करना शायरा बना गया है

चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)
© All Rights Reserved