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चीन ! तेरी नीचता अभिशाप है ।


चीन ! तेरी नीचता अभिशाप है ।
तू कलंकित गर्भिणी का पाप है ।

विश्व मानव मूल्य का तूं खेद है ।
हृदय तेरा भेडिये का छेद है ।।
तू पतित निर्लज्ज की पहचान है ।
नाम तेरा बक्त का अपमान है ।।

तुझे तेरी आंख भी क्यों देखती है ?
तेरी...