...

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यूँ तो
अब जब मौसम आया अब्र का
यादों ने उनकी दस्तक दी फिर एक बार
यूँ तो हम भूले ही नहीं थे कभी
ज़ख्म को कुरेदने मौसाम आया फिर एक बार