अठखेलियां में उसके दाँत लगे।
उसके चूमने के निशान
रह गए थे मेरे बदन पर
जहाँ भी अठखेलियां में उसके दाँत लगे।
बहुत दिनों के बाद
वो निशान गए नहीं
बल्कि गहरे होते गए।
वो निशान धीरे धीरे
मेरा जन्म-चिह्न बन चुके हैं
मेरे शरीर से जुड़ चुके हैं।
मैं अब जब भी जन्म लेता हूँ
उसके चूमने का निशान बाकी रहता है।
एक व्यक्ति इतना गहरा हो चुका है
मेरे अस्तित्व में।।
© राइटर Mr Malik Ji.....✍
रह गए थे मेरे बदन पर
जहाँ भी अठखेलियां में उसके दाँत लगे।
बहुत दिनों के बाद
वो निशान गए नहीं
बल्कि गहरे होते गए।
वो निशान धीरे धीरे
मेरा जन्म-चिह्न बन चुके हैं
मेरे शरीर से जुड़ चुके हैं।
मैं अब जब भी जन्म लेता हूँ
उसके चूमने का निशान बाकी रहता है।
एक व्यक्ति इतना गहरा हो चुका है
मेरे अस्तित्व में।।
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