...

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" मज़मून "

अपनी ही अदा ले, ए मज़मून तू आई है ...
सियाह रंग ! मैं तराशू तुझे और तू ! मुझे तराशती आई है !!

लफ़्ज़ों की बुनाई भी देख़ तुझे ! तुझसी हो चली ...
खिल उठा मैं ! कैसी तू मनचली !!

लागे है, मेरा संवारने ! ले मेरा ही मन आई है ...
नटखट दर्शाए है कुछ और कर अपने मन की आई है !!

मनमोहिनी है ! लै तेरी ए रागिनी ...
राग को भी है लगता ! गुनगुनाना, सिखाके आई है !!

लब-ए-शीरीं ! कदर दानों के, छू ही जाओगी आख़िर ...
मेरे भी बोल ! तू जो, मीठे बनाके आई है !!

अपनी ही अदा ले, ए मज़मून तू बाहर आई है ...
सियाह रंग ! मैं तराशू तुझे और तू ! मुझे तराशती आई है !!

सुखविंदर ✍️🌄✍️
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मज़मून : लेख, निबंध, आर्टिकल, विषय / essay, article, composition
theme of a couplet or poetical composition

लब-ए-शीरीं : वह होंठ जिनसे रस (अधरामृत) टपकता हो, मीठे होंठ / honeyed lips, sweet or honeyed lips
(Figurative) beloved's lips
sweet speech

© Sukhwinder

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