7 views
एक हसीं मुश्किल
उन्हें कितना ज़हन में छुपाया जाए,
वक्त की सुइयां थम सी जाती हैं,
उन्हें देख कर भी क्या अर्ज़ किया जाए,
ये ज़बां थोड़ी सहम सी जाती है।
उस लम्हे को मन में बसा कर,
खुद पे ऐतबार किया जाता है,
एक और लम्हे की ख्वाहिश ले कर,
रोज़ उनका इंतज़ार किया जाता है।
उन्हें रोज़ सामने देखकर भी,
जज़्बात रोकना मुश्किल है,
उनके इश्क में बेसुध होकर भी,
तास्सुरात छुपाना मुश्किल है।
© Musafir
वक्त की सुइयां थम सी जाती हैं,
उन्हें देख कर भी क्या अर्ज़ किया जाए,
ये ज़बां थोड़ी सहम सी जाती है।
उस लम्हे को मन में बसा कर,
खुद पे ऐतबार किया जाता है,
एक और लम्हे की ख्वाहिश ले कर,
रोज़ उनका इंतज़ार किया जाता है।
उन्हें रोज़ सामने देखकर भी,
जज़्बात रोकना मुश्किल है,
उनके इश्क में बेसुध होकर भी,
तास्सुरात छुपाना मुश्किल है।
© Musafir
Related Stories
12 Likes
2
Comments
12 Likes
2
Comments