जो कब कि कट गई...
हम दोनों अपनी अपनी,
पतंग उड़ाते....,
आसमान में लड़ गए।
ना कटती बने,
ना उड़ती बने....,
फिर कुछ यूं उलझ गए।
दर्शक जो कह रहे थे,
आखिर वही हुआ....,
उसकी पतंग तो छत पर,
सलामत उतर गई।
एक मुद्दत...
पतंग उड़ाते....,
आसमान में लड़ गए।
ना कटती बने,
ना उड़ती बने....,
फिर कुछ यूं उलझ गए।
दर्शक जो कह रहे थे,
आखिर वही हुआ....,
उसकी पतंग तो छत पर,
सलामत उतर गई।
एक मुद्दत...