दर-ब-दर ...
भटक रहा था कब से~ मैं दर-ब-दर रे ...
कि तूँ हो न सका मेरा भी होकर रे ....
मैं समझ नहीं पाता, खता क्या हो गई मुझसे
अब...
कि तूँ हो न सका मेरा भी होकर रे ....
मैं समझ नहीं पाता, खता क्या हो गई मुझसे
अब...