...

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मुख्य न्यायाधीश संग बुढिया का संवाद।।
यमराज, प्रशनवाचक, कैमरामैन
लेखक -यमराज की ओर देखते,
प्रश्नवाचक से-कहो! क्या बात है ले आए उस जालिमिका को बताओ रे प्रशनवाचक?
प्रश्नवाचक निगाहों नीचे करते हुए खामोश था,
जैसे उसकी आवाज छीन ली गई हो,
लेखक द्वारा और ऊंची आवाज -अरे ओ प्रशनकारी क्या पूछा हमने!-लेखक
कहां है वो कुभागिन!-लेखक
प्रश्नवाचक दृष्टि झुकाकर खड़ा हुआ मौन था,
फिर वो यमराज से कहता कि ऐ प्राणहारी,
तुम्हें तो पता ही होगा कि कहा है वो बुढ़िया -लेखक यमराज से कहते और पूछते हुए -की आपको तो पता होगा यमदेव की उस नाशवाहिन की रूह किस लोक होगी?
यमराज द्वारा हां में उत्तर पाकर उन्हें
दोबारा प्रशनवाचक संग उस नाशवाहिन का पता लगाने भेज दिया गया लेखक द्वारा और खुद अन्तर ध्यान होकर उनकी प्रतिछा करने लगा।।
और जब प्रशनवाचक की इस कार्य विफलता के बाद जब यमराज भी बुढिया की खोज में असफल होकर वह लेखक समक्ष उपस्थित होकर अपनी विफलता स्वीकार कर मौन हो जाते है तब लेखक क्रोध प्रचंड होकर गाथा में उस नाशवाहिन की खोज में प्रलय लाकर प्रकृति को डगमगा देता है।।
खोज की आसीमता में प्रचंड प्रलयंकर "
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