...

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बनावटी रेशम से सपने...
#सपनेऔरदुःस्वप्न

लहलहाते वह..
बनावटी रेशम के खेत,
जहाँ ढूंढना चाहा था जिसे,
वह लग रहा था कुछ अपना सा..
या बेजान बारूद के कणों में..
सोई हुई आग सा..,

धधक उठा मन.. ज़ब छूना चाहा उसे..
वह था बनावटी रेशम का खेत,
वह सपना ही तो था..

जो सपने देखे थे,
उनको पाने के लिए भीड़ मे खड़ी हूं,
यहाँ सब लोग साथ चलने को है..
पर मैं तो अकेली हूं...

© अनकहे अल्फाज़...