क्यूँ है?
इन आँखों में ये आहट सी क्यूँ है?
कुछ धुंधला सा बिखर जाने की घबराहट सी क्यूं है?
ख्वाबों में दिखता है जो चेहरा अक्सर,
हकीकत में उसके ना मिलने पर शिकायत सी क्यूँ है?
इन आँखों में ये आहट सी क्यूँ है?
वो नींद सुकूँ की, जो पहले हुआ करती थी,
किसी हवा का दामन...
कुछ धुंधला सा बिखर जाने की घबराहट सी क्यूं है?
ख्वाबों में दिखता है जो चेहरा अक्सर,
हकीकत में उसके ना मिलने पर शिकायत सी क्यूँ है?
इन आँखों में ये आहट सी क्यूँ है?
वो नींद सुकूँ की, जो पहले हुआ करती थी,
किसी हवा का दामन...