...

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मिले मुझे तीन रास्ते
मैं चला मुकाम के वास्ते,
आगे मिले मुझे तीन रास्ते,
पहला रास्ता बहुत नया था,
कोई इंसान उस पर ना गया था,
दूसरा रास्ता था छोटा सा,
मेरा सामान था बहुत ज्यादा,
तीसरा रास्ता भी नया था,
पर उस पर हीरे मोती जड़े थे,
ठान लिया मैंने तभी से,
तीसरे रास्ते पर मैं चलूंगा,
हीरे मोती लेता चलूंगा,
थोड़ी दूर आकर एक ढाबा मिला,
खाने के लिए मैं वहीं रुका,
खूब मजे से मैंने खाया,
जब मुझे होश आया,
तो मैंने खुद को अकेला पाया,
ना ढाबा था, ना खाना था,
ना हीरे मोती थे, ना सामान था,
तब मुझे पता चला सब धोखा था,
अब क्या फायदा पछताने का।
© komal

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