होता नहीं मिलन है
221 / 2122 / 221 / 2122
आकाश का जमीं से होता नहीं मिलन है
क्यूँ आग सी लगी है तपता मेरा ये तन है
मैं भीगती रही हूँ बढ़ती रही जलन है
बरसात हो रही है फिर भी लगी अगन है
बैठे उदासी लेके गुल जार जार रोते
आई बहार कैसी खिलता नहीं चमन है
नादान दिल है मेरा कैसे इसे सँभाले
बेचैन हो रहा है बेकल मेरा ये मन है
बरजोरी कर रहा है कमजोर पड़ गयी मैं
आँचल उड़ा रहा है बैरी बड़ा पवन है
चाहत ने जान ले ली और चैन छीन डाला
बर्बाद मेरी किस्मत कैसी लगी लगन है
मेरी चिता सजी है आके मुझे बचालो
धूँ धूँ किये है जलता कैसा मेरा बदन है
जितेन्द्र नाथ श्रीवास्तव "जीत "
© All Rights Reserved
आकाश का जमीं से होता नहीं मिलन है
क्यूँ आग सी लगी है तपता मेरा ये तन है
मैं भीगती रही हूँ बढ़ती रही जलन है
बरसात हो रही है फिर भी लगी अगन है
बैठे उदासी लेके गुल जार जार रोते
आई बहार कैसी खिलता नहीं चमन है
नादान दिल है मेरा कैसे इसे सँभाले
बेचैन हो रहा है बेकल मेरा ये मन है
बरजोरी कर रहा है कमजोर पड़ गयी मैं
आँचल उड़ा रहा है बैरी बड़ा पवन है
चाहत ने जान ले ली और चैन छीन डाला
बर्बाद मेरी किस्मत कैसी लगी लगन है
मेरी चिता सजी है आके मुझे बचालो
धूँ धूँ किये है जलता कैसा मेरा बदन है
जितेन्द्र नाथ श्रीवास्तव "जीत "
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