...

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ना हो निराश
ना हो निराश, ना खोवो होश
खुद को बदलकर अपना स्वाभिमान जीतो,

करो आगाज़ नये सवेरे का
मिल जाओ उसके उदय की लालिमा में,

बन कर अर्जुन भेदो लक्ष्य को
कर दो राख बुराई के अस्तित्व को

निसंदेह तोड़कर रेखा, तू बनाओ अपना युद्ध-क्षेत्र
बन कर प्रकाश मिटा दो तुम अंधकार
ना हो निराश.... ना खोवो होश




© shubhamkanaujia