...

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समुंदर सा इश्क
समुंदर सा था इश्क उनका
पहले सीने से लगाया
फिर दर किनारा कर दिया

मैंने उसमे डूबना चाहा
लेकिन डूब न पाया

कम्बख्त किसी कश्ती का
सहारा मिल गया

जिस नाव का सहारा मिला
वे नाव पहले से टूटे पड़े थे

मुझे लगा ये तो मुझे झेल ही लेगी
लेकिन वो तो पहले से जार जार बिखरे
पड़े थे