...

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कविताओं की अभिव्यक्ति
बहुत कुछ कहती हैं कविताएं हमारी..
समझ के भी नजरअन्दाज की जाती हैं भावनायें हमारी..
जरूरी नहीं युद्ध हो आमने-सामने तुमसे..
दस्तूर-ए-दुनिया है आलोचना गैरों से..
गर थी शिकायत तो कहते हमसे..
क्या वाकई मिल जाती है संतुष्टि इससे???🤔