रोम रोम।
मैंने मेरी जान क्या कुछ नहीं खोया तेरे जाने से?
एक ज़िंदगी ही थी,और क्या ही था पास मेरे?
मारने वाले पूछ तो लेते मुझसे मेरी ख़्वाइश आख़िरी,
ख़्वाइश इतनी ही थी,सफ़र में साथ तो रहते तुम मेरे।
हिसाब लगाया मेरे जीने का,कुछ हासिल हुआ भी!...
एक ज़िंदगी ही थी,और क्या ही था पास मेरे?
मारने वाले पूछ तो लेते मुझसे मेरी ख़्वाइश आख़िरी,
ख़्वाइश इतनी ही थी,सफ़र में साथ तो रहते तुम मेरे।
हिसाब लगाया मेरे जीने का,कुछ हासिल हुआ भी!...