आँसु।
वेदना का सागर जब लहराता है
नयनों के बाँध को तोङ
अबूझ अनमोल आँसुओं की लहरें
अस्तित्व भिगों रह जाता है।।
बेमोल बूँदें रत्न सी ये
मुहासबा इनका होना हीं होगा
यूँ हीं चूक जाए ग़र सब ये
तो जिगर का हर कोना खाली होगा।।
हर बूँद उस आँसु का क्या
धात्री दर्द जिसका कर सकी न बयां
वह खून के आँसु होते हैं
लथपथ किलकारी संग जब हम रोते हैं।।
इन आँसुओं को...
नयनों के बाँध को तोङ
अबूझ अनमोल आँसुओं की लहरें
अस्तित्व भिगों रह जाता है।।
बेमोल बूँदें रत्न सी ये
मुहासबा इनका होना हीं होगा
यूँ हीं चूक जाए ग़र सब ये
तो जिगर का हर कोना खाली होगा।।
हर बूँद उस आँसु का क्या
धात्री दर्द जिसका कर सकी न बयां
वह खून के आँसु होते हैं
लथपथ किलकारी संग जब हम रोते हैं।।
इन आँसुओं को...