...

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ज़रूरी तो नहीं
इंसान हूं टूट सकता हूं पर तेरे दर पे झुक जाऊंगा ये ज़रूरी तो नहीं,

लगी हैं तानाशाही हर तरफ़,पर तुम्हें दिखाई दे ये ज़रूरी तो नहीं,

मेरा दिल चीख रहा हैं उसकी हालत पे,पर तुम्हें सुनाई दे ये ज़रूरी तो नहीं,

हम बद से बदतर हो गए तरक्की की राह पे,पर किसी को समझ आए ये ज़रूरी तो नहीं,

सवाल पूछने वाले चाटुकार बन गए कोई उन्हें भी पूछेगा ये ज़रूरी तो नहीं,

उसको हक़ नहीं अनसुना करने का,पर मिले हर सवाल का जवाब ये ज़रूरी तो नहीं,

वो धर्म का सिक्का बड़े शौंक से उछालते हैं,कभी ख़ुद भी मानते हो ये ज़रूरी तो नहीं,

पूजा तो हैं बहुत उसकी,पर हो सच में वो अवतार ये ज़रूरी तो नहीं,

सच ज़रूर लिखता हैं, पर 'ताज' इंसान भी हो अच्छा ये ज़रूरी तो नहीं।
© taj