दूर...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
स्वप्न सहेज कर आगे बढ़ रहा कोई।
आसमान के तारे बुलाते हैं,
राह में रोज़गार की बातें करते हैं;
हर एक पल नया संगीत सुनाते हैं,
जिंदगी की कहानी लिख रहे हैं।
खुद से खोज अपने सपनों की दुनिया,
आज़ाद फिजाओं में खो जा दुबारा;
धरती की गोद में लेकर सपनों का साथ,
खोया हुआ स्वप्न फिर से पाने को तैयार।
हर कदम नया सफ़र है इस दुनिया में,
खुद को पहचान कर जीने का अद्भुत जीना;
सपनों की परीक्षा हर पल है,
मंजिल की तलाश में निकला हर अद्भुत रही।
ज़िन्दगी की गहराईयों में खोजते हुए,
सपनों के रास्ते पर बढ़ते हुए;
खुद को पाने की चाह में,
दूर की राहों पर नए सवेरे की तलाश में...!!!
© dil ki kalam se.. "paalu"
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