...

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कुछ कर डालो तुम
कितना ही कुछ कर डालो तुम
खुद को भी मिटा डालो तुम

भूख प्यास दे डालो तुम
रातों की नींद गंवा डालो तुम

दिल का चैन उड़ा डालो तुम
अपनी गागर रीति कर डालो तुम

अपनी खुशियां दे डालो तुम
अपने पंख स्वयं कतर डालो तुम

हर इल्ज़ाम उठा डालो तुम
हर सितम सह डालो तुम
कितने ही अश्क बहा डालो तुम
ये दुनिया नहीं खुश होने वाली
© सरिता अग्रवाल