प्यार की पवित्रता
आसमान में बादल आज फिर से घिर आए हैं। शायद तुम पास हो मेरे फिर भी दिल उदास है ,
तुम पास हो मेरे फिर भी दिल उदास है ।शायद पास होकर भी तुम मुझसे दूर हो ,
ना जाने किन रिश्तो में मजबूर हो रिश्ता तो मैं नहीं जानती पर सुना था प्यार भी कुछ होता है ।
मन हंसते हंसते भी कभी रोता है।
क्या तुम को भी यह एहसास होता है?
मुझको कई बार बारिश ने भिगोया है कोई अतिशयोक्ति है नहीं कि तुमने तो प्यार का एहसास भी खोया है
आज फसे हो रिश्तो में कल रोओगे हिस्सों में।
हर दिन एक आग लगेगी
हर समय मिलने की चाह लगेगी
पर दूर तुम इतना हो जाओगे चाह कर भी बोल ना पाओगे सोचोगे मेरे बारे में देखोगी नजारों में ढूंढोगे बारिश की बूंदों में तो कभी आसमान के सितारों में
हंसते हंसते कभी जोर से रोने लगोगे दर्द को बोलने से खोने लगोगे याद आएगी वह रात तुम्हें जिस दिन मैंने तुम्हें पुकारा था और तुमने मुझे नकारा था
दूर होने का एहसास तो उस दिन होगा जब मिलना चाह कर भी मिल ना पाओगे बस रोती आंखों से निहारते जाओगे
सुंदर आंखें सुंदर बाल हंसती सूरत प्यार बेहिसाब। इतना प्यार देखा नहीं किसी की आंखों में यह सोच कर घबराओ गे क्या किया मैंने प्यार को ठुकराया है जिंदगी को छोड़ मौत को गले लगाया है
आगे मेरी खुशी थी ,पीछे मेरा अतीत मैंने सब छोड़कर वर्तमान को अपनाया बना बड़ा समझदार ,समझदारी का सबक आज समझ आया !
चाह करना मैं उसको भुला पाया हाय! उसकी अच्छाई ने क्या गजब ढाया मैंने बुरा किया उसके साथ पर उसने हमेशा मेरा भला चाहा
बोलती थी गुस्से में आंखों में प्यार था भोली सी सूरत मन में ना अहंकार था
रोकर मुझे बुलाती थी मैं हंस कर टाल देता था
आज याद आता है उसका रोना जब कोई मुझको कड़वी बोल देता है
माफी मांगने के भी लायक नहीं क्या बोलूं मैं उसको
मैं उसके प्यार को बयां कर नहीं सकता मैंने उसे उम्र कैद दी !उसने मुझे उम्र छूट!
मैंने उसे आंसू दिए उसने मुझे पानी क्या बोलूं मैं शब्दों के फेरबदल ने बदल डाली जिंदगानी
काश! कि वह मेरे पास होती
काश! की आंखें फिर से ना उदास होते हैं मुझे माफी मांगने का भी हक नहीं मुझे पास जाने का भी कोई हकनहीं
वो इतनी अच्छी है मुझे फिर अपना लेगी इस नर्क की आग में झोंक वो खुद को फिर जला देगी
मैं फिर दगा करूंगा वह फिर वफा देगी
हे भगवान !किस मिट्टी से बनाया है उसको जो पिघलती ही नहीं प्यार की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि कभी हिलती ही नहीं तूफानों में भी उसका प्यार रुका रहता है यह प्यार नहीं गंगाजल है जो मेला होकर भी पवित्र बना रहता है
शत शत नमन उसके प्यार को आज उद्धव और गोपियों के प्रसंग याद आया प्यार की पवित्रता का सबक समझ आया कृष्ण ने भी हार मानी थी गोपियों से , राधा के भी आगे झुके थे कृष्णा तभी संसार ने बोला राधे कृष्णा।
तुम पास हो मेरे फिर भी दिल उदास है ।शायद पास होकर भी तुम मुझसे दूर हो ,
ना जाने किन रिश्तो में मजबूर हो रिश्ता तो मैं नहीं जानती पर सुना था प्यार भी कुछ होता है ।
मन हंसते हंसते भी कभी रोता है।
क्या तुम को भी यह एहसास होता है?
मुझको कई बार बारिश ने भिगोया है कोई अतिशयोक्ति है नहीं कि तुमने तो प्यार का एहसास भी खोया है
आज फसे हो रिश्तो में कल रोओगे हिस्सों में।
हर दिन एक आग लगेगी
हर समय मिलने की चाह लगेगी
पर दूर तुम इतना हो जाओगे चाह कर भी बोल ना पाओगे सोचोगे मेरे बारे में देखोगी नजारों में ढूंढोगे बारिश की बूंदों में तो कभी आसमान के सितारों में
हंसते हंसते कभी जोर से रोने लगोगे दर्द को बोलने से खोने लगोगे याद आएगी वह रात तुम्हें जिस दिन मैंने तुम्हें पुकारा था और तुमने मुझे नकारा था
दूर होने का एहसास तो उस दिन होगा जब मिलना चाह कर भी मिल ना पाओगे बस रोती आंखों से निहारते जाओगे
सुंदर आंखें सुंदर बाल हंसती सूरत प्यार बेहिसाब। इतना प्यार देखा नहीं किसी की आंखों में यह सोच कर घबराओ गे क्या किया मैंने प्यार को ठुकराया है जिंदगी को छोड़ मौत को गले लगाया है
आगे मेरी खुशी थी ,पीछे मेरा अतीत मैंने सब छोड़कर वर्तमान को अपनाया बना बड़ा समझदार ,समझदारी का सबक आज समझ आया !
चाह करना मैं उसको भुला पाया हाय! उसकी अच्छाई ने क्या गजब ढाया मैंने बुरा किया उसके साथ पर उसने हमेशा मेरा भला चाहा
बोलती थी गुस्से में आंखों में प्यार था भोली सी सूरत मन में ना अहंकार था
रोकर मुझे बुलाती थी मैं हंस कर टाल देता था
आज याद आता है उसका रोना जब कोई मुझको कड़वी बोल देता है
माफी मांगने के भी लायक नहीं क्या बोलूं मैं उसको
मैं उसके प्यार को बयां कर नहीं सकता मैंने उसे उम्र कैद दी !उसने मुझे उम्र छूट!
मैंने उसे आंसू दिए उसने मुझे पानी क्या बोलूं मैं शब्दों के फेरबदल ने बदल डाली जिंदगानी
काश! कि वह मेरे पास होती
काश! की आंखें फिर से ना उदास होते हैं मुझे माफी मांगने का भी हक नहीं मुझे पास जाने का भी कोई हकनहीं
वो इतनी अच्छी है मुझे फिर अपना लेगी इस नर्क की आग में झोंक वो खुद को फिर जला देगी
मैं फिर दगा करूंगा वह फिर वफा देगी
हे भगवान !किस मिट्टी से बनाया है उसको जो पिघलती ही नहीं प्यार की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि कभी हिलती ही नहीं तूफानों में भी उसका प्यार रुका रहता है यह प्यार नहीं गंगाजल है जो मेला होकर भी पवित्र बना रहता है
शत शत नमन उसके प्यार को आज उद्धव और गोपियों के प्रसंग याद आया प्यार की पवित्रता का सबक समझ आया कृष्ण ने भी हार मानी थी गोपियों से , राधा के भी आगे झुके थे कृष्णा तभी संसार ने बोला राधे कृष्णा।