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अपनों से ज़रा कम किया करो ग़मों की बातें........✍🏻
अपनों से ज़रा कम किया करो ग़मों की बातें
वक़्त बे-वक़्त ठीक नहीं बेवजह की मुलाक़ातें
अपनी कहानी के पन्नें सोच समझकर खोला करों
दूसरों से क्यों बयां करती हो शिकायतों की सौग़ातें

बदलते हुए वक़्त के साथ तुम नया अध्याय हो
जज़्बाती रिश्तों में अच्छी नहीं ये झूठी अफ़्वाहें
कोरे पन्नों पे तू ग़मों के लफ़्ज़ों को समेटती जा
अपनों के सामने अच्छी नहीं अश्कों की आवाज़ें

सरेआम न...