...

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आखिर कब तक??
आखिर कब तक ???
जल रही चिता इंसानियत की
कब तक चुप बैठोगे।।
लूटी जा रही अस्मत किसी की
कब तक तमाशा देखोगे।।
मुआवजा के मरहम तुम
कब तक लगाओगे??
उनके घर के बुझते चिराग को
क्या वापस लौटा पाओगे??
तूम न समझोगे दर्द के
साये में जिना क्या होता है??
तुम न समझोगे अपना
बिछड़ता है तो रोना क्या होता है??
जल रही आवाम पर
राजनीति रोटियाँ सेकना जानते हो?
वक़्त के साथ पाला बदलने का
हुनर भी जानते हो??
तुम न समझोगे बुड्ढे बाप का
सहारा क्या होता है??
पथराई आँखों से ममता का
प्यार क्या होता है???
इनके अन्दर की आग कब तक
थमेगी, पूछ रहा अभी दिल्ली
कब तक जलेगी ??