ब्रह्म
निखर जाएगा समझौता कर ले,
बिखर जायेगा ना हठ कर बे;
शीशा कहा टिकता गिर कर रे,
कण-कण करके वो बिखरे।
कड़ी परिश्रम में तू निखरेगा,
ना किसी हाल में तू बिखरेगा;
कण-कण भी फिर एक बनेगा,
धैर्य रख सब कुछ सुधरेगा।
बुरे वक्त में तू डट रे,
बन अभिमन्यु तू लड़ ले;
कठिनाइयों का चक्रव्यूह टूटेगा,
रख हौंसला रे पगले।
खुद पर ना अभिमान दिखा,
नियति तय करेगी जो है लिखा;
हर परिस्थिति में लड़ना,
जीवन को अविराम बना।
फिर भाग्य तुम्हारा इठलायेगा,
सर्वस्व तुझमें समायेगा;
संकटों का ताप में तपा हुआ,
वो मानव ब्रह्म कहलायेगा।
© Mr. Busy