एक मुस्कुराट..
जब आये इस दुनिया में तब हर रिश्ते से अनजान थे।
किसी से क्या रिश्ता है इस से बेखबर बचपन के कुछ खुशनुमा पल गुजारे।
जैसे बड़े होते गए वैसे-वैसे रिश्तों के भंवर में कुछ ऐसे फंसते चले गए कि कभी-कभी उन रिश्तों कि वजह से खुद को भुला दिया,
तो कभी अपने अरमानों का गला घोटं दिया ,
तो कभी खुद कि खुशी को भुला...
किसी से क्या रिश्ता है इस से बेखबर बचपन के कुछ खुशनुमा पल गुजारे।
जैसे बड़े होते गए वैसे-वैसे रिश्तों के भंवर में कुछ ऐसे फंसते चले गए कि कभी-कभी उन रिश्तों कि वजह से खुद को भुला दिया,
तो कभी अपने अरमानों का गला घोटं दिया ,
तो कभी खुद कि खुशी को भुला...