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वो ईश्वर है
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कोई कहे सुंदर है स्त्री,
पुरुष को कोई माने खास।
कोई कहे धरती को सुंदर,
किसी को सुंदर लगे आकाश।
सुंदर फूल,धरा सुंदर है।
लाल,गुलाबी,नीला,पीला
केसरी,स्वेत हरा सुंदर है।
फल सुंदर अनाज सुंदर है।
पशु,पक्षी समाज सुंदर है।
तितली सुंदर चितली सुंदर।
देखो जित सुंदर ही सुंदर।
ये जो अपना सुभग धरा है,
सुंदरता से आटा पड़ा है।
सूरज-चन्दा,धरती अम्बर
नदियाँ,झरने और समंदर
नभ में उड़ते अगनित पंछी
जितनी भी सुंदर वस्तु है
सोचो उसे बनाया किसने?
कोई तो ऐसी शक्ति है
जिसने सूरज चाँद बनाया।
कोई तो ऐसी शक्ति है
जिसने तारों को चमकाया
नदियों को बहना सिखलाया।
सर्व अप्रतिम रूप है मानव
जिसने इसको रचा,बनाया।
हमें बनाने वाली शक्ती
केवल एक ही अजर अमर है
चाहे कुछ भी तुम बोलो पर
मै कहता हूँ वो ईश्वर है।
✍️ कौशल किशोर सिंह
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सुभग-भग्यशाली

© Kaushal