khawishein.....✍️✍️✍️✍️
कुछ और पा लेगें
शायद कुछ रह गई
अधूरी ख्वाहिश
चलते रहें, सोंचते रहें
कभी रुक कर
रास्तो की लम्बाई या
विस्तार मापने की
इच्छा भी आई
फ़िर कभी दौड़ लगाई
शायद अगले मोड़ पर हो
सुकून की परछाई
पर हर बार कुछ सन्नाटें ही
हाथ आई
फ़िर एक रोज़...
शायद कुछ रह गई
अधूरी ख्वाहिश
चलते रहें, सोंचते रहें
कभी रुक कर
रास्तो की लम्बाई या
विस्तार मापने की
इच्छा भी आई
फ़िर कभी दौड़ लगाई
शायद अगले मोड़ पर हो
सुकून की परछाई
पर हर बार कुछ सन्नाटें ही
हाथ आई
फ़िर एक रोज़...