अस्तित्व
मनुष्य का अस्तित्व
नारी से है
फिर भी वो
छूट जाती है...
साथ चलते चलते
दूर हो जाती है
पारस्परिक सहयोग की भावना से
कमजोर पर जाती है...
नारी से है
फिर भी वो
छूट जाती है...
साथ चलते चलते
दूर हो जाती है
पारस्परिक सहयोग की भावना से
कमजोर पर जाती है...