मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद ,
शहर में तेरे
मुझसे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी,
शहर में तेरे
तब से ना पीने के पैमाने है ,
ना मुझे पिला सके जी भरकर
ऐसे मयखाने है ।।
© रूप(R.G.H.)
शहर में तेरे
मुझसे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी,
शहर में तेरे
तब से ना पीने के पैमाने है ,
ना मुझे पिला सके जी भरकर
ऐसे मयखाने है ।।
© रूप(R.G.H.)