आखिर कब..
इतना कुछ देख कर,
झेल कर, खो कर भी,
कुछ नहीं सीखा
तो आखिर कब।
हजारों की भीड़ में दब कर,
घुट कर, सहम कर भी,
कभी...
झेल कर, खो कर भी,
कुछ नहीं सीखा
तो आखिर कब।
हजारों की भीड़ में दब कर,
घुट कर, सहम कर भी,
कभी...