मुरली तू अति भागी
मुरली तू अति भागी
रे मुरली तू अति भागी
जाने कौन करम तू कीन्हे
गिरधर अधरन लागी।।
मुरली..... तू अति भागी
एक तो तेरी बोली कायल
सुनतहिं जड़ भए चेतन घायल
क्यों ना तू इठलाती जाए
कृष्ण तेरो अनुरागी।।
मुरली..... तू अति भागी
जमुना तट पर कदम की डारी
मोह रही तू दुनिया सारी
हो सुबह या भाग बिरज को
बाजन से तेरो जागी।।
मुरली..... तू अति भागी
त्यागे नंद जसोदा माई
ग्वाल बाल गोकुल बिसराइ
कैसी पागल प्रीत है तोहसे
जो ना जाए तू त्यागी।।
जाने कौन करम तू कीन्हे
गिरधर अधरन लागी
मुरली.... तू अति भागी।।
दास ध्रुव 🖋️
© All Rights Reserved
रे मुरली तू अति भागी
जाने कौन करम तू कीन्हे
गिरधर अधरन लागी।।
मुरली..... तू अति भागी
एक तो तेरी बोली कायल
सुनतहिं जड़ भए चेतन घायल
क्यों ना तू इठलाती जाए
कृष्ण तेरो अनुरागी।।
मुरली..... तू अति भागी
जमुना तट पर कदम की डारी
मोह रही तू दुनिया सारी
हो सुबह या भाग बिरज को
बाजन से तेरो जागी।।
मुरली..... तू अति भागी
त्यागे नंद जसोदा माई
ग्वाल बाल गोकुल बिसराइ
कैसी पागल प्रीत है तोहसे
जो ना जाए तू त्यागी।।
जाने कौन करम तू कीन्हे
गिरधर अधरन लागी
मुरली.... तू अति भागी।।
दास ध्रुव 🖋️
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