सिद्दत से चाहा
हो देखो-देखो उनको देखो
मस्त भगत हुए उसे देख रे
सिद्दत से चाह है उसे
दिल मे धधकती आग जग गई
महफिल मे सजि राग बन गई
धरती झुम रही ये सारा
गगन नाच रहा देख उसे
हर लम्घ, रोता हूँ क्या
हर तन्हा है ऐसा हि होती है
वो सामने तो नहीं फिर भि उसकी तस्बिर लिए बैठा हू
© Preet Dhar...
मस्त भगत हुए उसे देख रे
सिद्दत से चाह है उसे
दिल मे धधकती आग जग गई
महफिल मे सजि राग बन गई
धरती झुम रही ये सारा
गगन नाच रहा देख उसे
हर लम्घ, रोता हूँ क्या
हर तन्हा है ऐसा हि होती है
वो सामने तो नहीं फिर भि उसकी तस्बिर लिए बैठा हू
© Preet Dhar...