...

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प्रेम और हम तुम
वास्ता झूठ से छुटती नेही,
उन्हे प्रेम रास अति नहीं ।।

कहते हैं दर्द की तूफान ये होती है,
जरा बताओे कोई...
नही यन्हा कोई बचता है ।।

इजहारे वफा करने न करने से,
नाता इश्क की नही होती है ।।

ये आग तो योग से मिलती है,
जिस में कभी मीरा तो कभी श्याम जलते हैं ।।

पा कर कौन इसे पाया है,
खो कर कौन खो आया है...

इतनिसी बात समझी राधिकाजी ने,
के प्रेम की रंग असर सब कृष्ण से कारे कार हैे ...

जब तुम न भागो और न पानेकी कोशिश करो,
ये आग मन की बन को साफ करता जाता है ।।

© श्यामा_Kripaki_Pyasi