...

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क्या करते?
अंधेरे मांगने आए थे रोशनी की भीख,
हम दिल अपना न जलाते, तो क्या करते?

चाहते थे दिल खोल कर रोना,
हम दास्तां अपनी न सुनाते, तो क्या करते?

सिसकियां सुन उसकी गूंज उठा आसमां,
हम रूमाल अपना न थमाते, तो क्या करते?

जी भर रोने के बाद, आई उसको निंद्रिया,
हम आगे कंधा अपना न बढ़ाते, तो क्या करते?

अंधेरे मांगने आए थे रोशनी की भीख,
हम दिल अपना न जलाते, तो क्या करते?