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मेरा यार और मेरी ख्वाहिशें
आज मैं खोया सा हूं जान,
तेरी यादों की बहार में ।
दिल बेचैन है हद से ज़्यादा,
तेरे इंतज़ार में ।

सोचता हूं ऐसा जहां बनाऊं,
जहां बस तू और तेरे साए हों।
तेरे आंचल का अंधेरा हो,
तेरी बाहों की पनाहें हों।

सोचता हूं मैं ये हरपल,
ख्वाहिशें कहूं या ना कहूं।
तेरे चेहरे पर मुस्कान रहे,
मैं रहूं या ना रहूं ।

ख्वाहिशें कैसी हैं मेरी,
ये भला कैसे कहूं तुझसे ।
ख्वाहिश बस यही है मेरी,
तू भी ख्वाहिश रखे मुझसे।

यूं खामोश रह कर यारा,
रूह पर सितम ना किया कर।
तेरे दिल- ए- मंज़र को,
कम-से-कम बयां तो किया कर।

जो तेरे दिल में होता है,
बताया कर मेरे दिल को।
साथ मिल कर यारा दोनों,
सुलझा लेंगे हर मुश्किल को।

हजारों ख़्वाब सजाता हूं,
हजारों अरमान संजोता हूं।
तेरे सिवा कुछ भी सोच नहीं पाता,
चाहे कहीं भी होता हूं।

काश! खुदा ऐसी कयामत लाए,
मैं तू और तू मैं बन जाए।
मैं किस दौर से गुज़र रहा हूं,
फिर तुझे ये समझ में आए।

फूल सी जान है तू मेरी,
मैं कैसे सितम करूं तुझ पर।
मैं भी तो साया हूं तेरा,
ज़रा सी गौर करो मुझ पर।

ख्वाहिशें तुझ से ना रखूं ,
तो भला किससे रखूं मैं?
तुझे चाहा है किस हद तक,
जान ! ये कह न सकूं मैं।

ख्वाहिश है ये यारा मेरी,
जिए तू मेरी बनकर।
रहना ज़िंदगी में हमेशा तू,
लबों की मुस्कान बनकर।