...

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मेरा यार और मेरी ख्वाहिशें
आज मैं खोया सा हूं जान,
तेरी यादों की बहार में ।
दिल बेचैन है हद से ज़्यादा,
तेरे इंतज़ार में ।

सोचता हूं ऐसा जहां बनाऊं,
जहां बस तू और तेरे साए हों।
तेरे आंचल का अंधेरा हो,
तेरी बाहों की पनाहें हों।

सोचता हूं मैं ये हरपल,
ख्वाहिशें कहूं या ना कहूं।
तेरे चेहरे पर मुस्कान रहे,
मैं रहूं या ना रहूं ।

ख्वाहिशें कैसी हैं मेरी,
ये भला कैसे कहूं तुझसे ।
ख्वाहिश बस यही है मेरी,
तू भी ख्वाहिश रखे मुझसे।

यूं खामोश रह कर यारा,
रूह...