हर बार
#एकस्वरकविता हर बार लोग मिले ,
और मिल कर चले गए ,,,
हर बार नया ज़ख्म मिला
और हम पुराने को भूलते गए ,,,
हर बार हुए ग़म जदा तो क्या हुआ ?
अपनी जीस्त को खाक में यूँ मिलाते गए ,,,
हर बार यकीन रहा खुद पर तुम आओगे,
हर बार अरमानो का गला तुम घोटते गए ,,
हर बार की तरह अबकी बार एसा ना हो ,,
बस इसे ही जीते भी रहे और मरते भी गए,,
सोज
© jitensoz
और मिल कर चले गए ,,,
हर बार नया ज़ख्म मिला
और हम पुराने को भूलते गए ,,,
हर बार हुए ग़म जदा तो क्या हुआ ?
अपनी जीस्त को खाक में यूँ मिलाते गए ,,,
हर बार यकीन रहा खुद पर तुम आओगे,
हर बार अरमानो का गला तुम घोटते गए ,,
हर बार की तरह अबकी बार एसा ना हो ,,
बस इसे ही जीते भी रहे और मरते भी गए,,
सोज
© jitensoz