...

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परछाई ...
मैंने देखा है
किरदारों को निलाम होते
गुमनाम होते , ख़ामोश होते


कुछ को हंसते हुए
कुछ को अपने आंसुओं को छुपाते हुए
कुछ को अपने जज्बातों में भटकते हुए
कुछ को अपने जज्बातों को समेटते हुए
कुछ को अपने राज़ अंधेरों में दफ़न करते हुए
कुछ को भरी दोपहर में तपते हुए


मैंने देखा है
हर किरदार को अपना कर्ज चुकाते देखा हैं,

मैंने देखा ....


© HeerWrites