...

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दूरियां
सपना क्या आंख दिखाता है,क्या दुनिया उसे देखने देती है
अगर हक से छीन नालो,नचाह भी हो वापस मांग लेती है
गीलेसिखवे मिटाओ,गतिपुर्ण दौड़ो,या फिर सहुं मजबूरियां
क्या क्या गवा बैठे है हम?आप दोषी बना रहे है ये दूरियां

किस्मत पर भरोसा, दुनिया को देखकर हम आस छोड़ दिए
जिन रहो पर चलना था,सपना! आंसू पोच दिशा मोड़ दिए
हक नहीं बढ़ाने...